सोमवार, 13 दिसंबर 2010

महाकवि कालिदास



संस्कृत कवि -कुल-चूड़ामणि, कवीश्वर, संस्कृत भारती के अमर कलाकार, महाकवि कालिदास का नाम संस्कृत साहित्य में मूर्धन्य हैं। जिन्होंने आज भी अपनी कृतियों के माध्यम से सम्पूर्ण मानव जगत में अपने अद्वितीय प्रतिभामयी प्रकाश को निरन्तर बिखेरे हुर है।
वे संस्कृत साहित्य के महानायक थे। अभीज्ञानशाकुन्तलम् जैसे महान नाटक के रचनाकार महाकवि कालिदास के जीवन
में कई उतार-चढाव का सामना करना पड़ा। उनके जीवन की एक प्रमुख घाटना हमें परोक्षा या अपरोक्ष रूप से ज्ञात है,
कि पण्डितों ने 'राजा शारदानन्द' की पुत्री 'विद्योतमा' से इनका विवाह करा दिया, लेकिन कुछ समय पश्चात विद्योत्मा
को पता चला कि कालिदास एक मूर्ख व्यक्ति है जिसके कारणवश उन्हे विद्योत्मा ने घर से बाहर निकाल दिया। पत्नी से अपमानित होने के बाद वे काली मन्दिर में गये जिससे काली ने प्रशन्न होकर उनको विद्या -सिध्दि का आशीर्वाद प्रदान करती हैं। विद्वान कालिदास जब अपने घर गये तो द्वार बन्द होने पर उन्होने अपनी पत्नी विद्योत्मा को संस्कृत मे आवाज लगायी- अनावृतं कपाटं द्वारं देहि (द्वार खोलो)। इसके पश्चात् विद्योत्मा ने पूछा- अस्ति कश्चित् वागविशेष:?(क्या कुछ विशिष्ट बात है?)। कालिदास ने अपनी विद्वता को प्रदर्शित करने के लिए अस्ति पद से कुमारसम्भव ग्रन्थ की रचाना की, कश्चित् पद से मेघदूत जैसे महाकाव्य की रचना की। इनके समस्त रचनाओं मे पाठकों को वो सब कुछ अवश्य प्राप्त हो जाता है जो पाठक उसमें चाहते हैं। कालिदास की रचानाएं सभी संस्कृत कवियों व साहित्यकारों की रचनाओं से भिन्न है और इनके द्वारा रचित नाटक अभीज्ञानशाकुन्तलम् के बारे में कहा भी गया है कि-
काव्येषु नाटकं रम्यं, तत्र रम्या शकुन्तला ।
तथापि चतुर्थोऽङ्क:, तत्र श्लोक चतुष्टयम्॥
महाकवि कालिदास द्वारा रचित विश्वप्रसिध्द नाटक अभीज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक के चार श्लोक अत्यन्त प्रिय और मार्मिकता से पुष्ट है इनकी अधिअकांश रचनाएं जो अपना एक महत्वपूर्ण स्थान विश्व भर मे बनाये हुए है जिनमें से उनकी प्रमुख रचनाएं इस प्रकार है-
गीतिकाव्य- ॠतुसंहार, मेघदूत।
महाकाव्य- कुमारसम्भव, रघुवंश।
नाटक- मालविकाग्निमित्र, विक्रमोर्वशीय, अभिज्ञानशाकुन्तल्।
महाकवि कालिदास की रचनाएं संस्कृत साहित्य के उस अस्ताचल सूर्य की भांति है जो अस्त तो होता है लेकिन अपनी अमुख लालिमा को देकर और उदित होता है तो एक नया साहित्यिक विहान को साथ में लाकर।

दीपेश कुमार मौर्य शकरमण्डी, जौनपुर

गुरुवार, 3 जून 2010

क्या कहने हैं बिजली के

जनपद जौनपुर में जब-जब जिलाधिकारी बदले हैं तब-तब बिजली के नये शेड्यूल बने है और जब नागरिक जन अपने व्यवसाय का शेड्यूल बनाते हैं तो माननीय विद्युत अधिअकारियों का शेड्यूल पुन:परिवर्तित हो जाता है। अक्सर सुनने में आता है कि बिजली उत्पादन नही हो पा रहा है,मुम्बई और दिल्ली जैसे महानगरों में विद्युत चौबीस घन्टे लगातार रहता है फिर हमारे उत्तर प्रदेश मे ही इतनी विद्युत कटौती क्यों? एक मजे की बात यह भी है कि बदली और बरसात के दिनों मे बिजली खूब मिलती है और जब तेज धूप और गर्मी होती है तो बिजली गायब। विद्युत न मिलने से जब आक्रोशित जनता प्रदर्शन और तोड़ फोड़ करती है तो इतनी बिजली कैसे आ जाती है? ऐसा क्यो,क्या हम देश के नागरिक नही है,क्या हम बिल नही भरते,सवाल तो कई है लेकिन जवाब वही पुराने हैं

दीपेश कुमार मौर्य
शकरमण्डी, जौनपुर