बुधवार, 16 सितंबर 2009

हमारे नायक

मेरा मानना है कि सभी मनुष्यों के अन्दर एक नायक छिपा हुआ है ये वह अहसास है जो हमे प्रेरणा प्रदान करता है।
नायक से मेरा मतलब किसी मूवी के कलाकर से नही है वे तीन या ढाई घंटे तक ही छाये रहते हैं या फिर तीन महीने
मेरा मतलब तो ये है कि भारत के वे महान नायक जो सदैव अमर हैं जिन्हे हम जैसे शब्दों के साथ नही जोड़ सकते
क्योकि वे कोई उदाहरण नही हैं वे तो इस भारतवर्ष के सच्चे नायक थे जिन्होने सारी उम्र या कहें तो अपनी सारी जिन्दगी
लगा दी भारत के भविष्य को गौरवपूर्ण बनाने के लिए। ये वही नायक हैं जिन्होने जलियांवाला बाग ह्त्याकांड में गोलियां
खायी, जिन्होने फांसी के फंदे को सहर्ष चूमा,जिन्होने अहिंसा का पाठ पढ़ाया, जिन्होने ये भी प्रचलित कर दिया कि
'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झाँसी वाली रानी थी'। मै, आप, हम सभी जानते हैं कि इन वाक्याँशों के पीछे किन महान
नायको का नाम छिपा हूआ है लेकिन जान कर भी हम इन्हे अपनी असल जिन्दगी में नही उतारते हैं। क्योकि हम डरते है
कि इनका अनुसरण करने से कही भ्रष्टाचार, चापलूसी, घूस, धोखाधड़ी आदि कार्यों से हाथ ना धोना पड़े। आप भी अपनी
राय जरूर दें।
दीपेश कुमार मौर्य
(आर एस के डी पी जी कालेज,जौनपुर)

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